कभी-कभी फिल्में हमें उन यादों में ले जाती हैं, जिन्हें हमने बड़े पर्दे पर महसूस किया हो। अनुराग कश्यप की नई फिल्म Nishaanchi भी कुछ ऐसा ही अनुभव देती है। यह फिल्म हमें सीधे दिल और अपराध की दुनिया में ले जाती है, और उन कहानियों की याद दिलाती है जो Gangs of Wasseypur जैसी फिल्मों ने हमें दी थीं। अगर आप अपराध और परिवारिक ड्रामा के शौकीन हैं, तो Nishaanchi आपके लिए एक ऐसा सफर साबित हो सकती है, जो रोमांच और भावनाओं से भरा है।
फिल्म की कहानी दो जुड़वां भाईयों, बाबलू और डब्लू की जिंदगी के इर्द-गिर्द घूमती है। ये दोनों भाई मनजरी और पहलवान जबरदस्त के बेटे हैं। कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब जबरदस्त के दोस्त, अंबिका प्रसाद, मनजरी के प्रति आकर्षित हो जाता है और जेल के अंदर जबरदस्त की हत्या की साजिश रचता है। इसके बाद दोनों जुड़वां भाई अलग-अलग मार्ग पर बढ़ते हैं – बाबलू को अंबिका का संरक्षण प्राप्त होता है और वह अपराध की दुनिया में घुस जाता है, जबकि डब्लू अपनी धर्मनिष्ठ माँ के साथ बड़ा होता है। इस तरह की कहानी सीधे Deewaar जैसी क्लासिक कहानियों की याद दिलाती है।

फिल्म का पहला हिस्सा काफी मजबूत है। अनुराग कश्यप ने एक बार फिर अपने पुराने अनुभव और Gangs of Wasseypur जैसी प्रेरणाओं का उपयोग किया है। पहली फिल्म की तरह ही, यहां भी नए कलाकारों का चयन फिल्म की जान लगता है। प्रत्येक अभिनेता अपनी भूमिका में पूरी तरह डूबा हुआ दिखाई देता है। फिल्म में एक ऐसा गीत भी है, जिसमें पुराने हिंदी फिल्म टाइटल्स को मजेदार तरीके से जोड़ा गया है, जो फिल्म के ह्यूमर और खेलभावना को दिखाता है।
हर किरदार को फिल्म में पर्याप्त जगह और बैकस्टोरी दी गई है। मनजरी, जो एक कुशल शूटिंग खिलाड़ी थी, अपने करियर का बलिदान करती है। वहीं रिंकू, जो पहले डांस स्टूडेंट थी, अब एक स्टेज परफॉर्मर बनकर अपने जीवन को संभालती है। ये किरदार और उनके आर्क फिल्म को निरंतर रोचक बनाए रखते हैं। अनुराग कश्यप ने कहानी में देसी ह्यूमर को भी खूबसूरती से पिरोया है, जिससे छोटे-छोटे संवाद भी यादगार बन जाते हैं।
हालांकि, Nishaanchi की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी लंबाई है। फिल्म का कुछ हिस्सा थोड़ा खिंचाव वाला लगता है और दर्शकों की धैर्य की परीक्षा लेता है। विवाद और बदला की कहानी Gangs of Wasseypur से प्रेरित है, और ऐसा लगता है कि कश्यप इस पुराने अनुभव के प्रति अभी भी बहुत आकर्षित हैं।
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसके प्रदर्शन हैं। आश्वरी ठाकरे ने डब्लू और बाबलू दोनों किरदारों में अपनी ऊर्जा और सहजता दिखाई है। मोनिका पंवार अपनी भूमिका में शानदार रही हैं और कुछ संवाद इतने प्रभावशाली हैं कि उन्हें याद रखना मुश्किल नहीं। विनीत कुमार सिंह ने अपनी सधी हुई अभिनय शैली से कहानी में गहराई डाली है। वहीं, वेदिका पिंटो ने अपनी भूमिका में सहजता से कदम रखा है और कुमुद मिश्रा का किरदार भय और अप्रत्याशितता का मिश्रण लेकर आता है।
कुल मिलाकर, Nishaanchi अनुराग कश्यप की उस पहचान को फिर से प्रस्तुत करती है, जिसमें हृदयस्पर्शी कहानी, अपराध, परिवार और हल्का ह्यूमर शामिल है। फिल्म में कुछ दृश्य वास्तव में चमकते हैं, वहीं कुछ हिस्से फिल्म की लंबाई के कारण थोड़ा बोझिल लगते हैं। अगर दर्शक इस खिंचाव को नजरअंदाज कर दें, तो कलाकारों की शानदार परफॉर्मेंस और कश्यप की नज़ाकत भरी नजर फिल्म को देखने लायक बनाती है।

फिल्म का एक अहम पहलू यह है कि यह Wasseypur की छाया से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाती, लेकिन नया कलाकार वर्ग और कश्यप की कहानी कहने की शैली इसे एक अलग अनुभव भी प्रदान करती है। Nishaanchi उन लोगों के लिए है, जो भारतीय अपराध और परिवारिक ड्रामा की गहराई में खो जाना पसंद करते हैं।
अंततः, Nishaanchi अपने दमदार अभिनय, अच्छी कहानी और मनोरंजक ट्विस्ट के कारण देखने लायक फिल्म है। यह आपको रोमांच, भावनाओं और हल्के ह्यूमर का मिश्रण प्रदान करती है। यदि आप Nishaanchi review पढ़ रहे हैं, तो समझ लें कि यह फिल्म पूरी तरह से आपके समय के लायक है, भले ही इसकी लंबाई थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो।
डिस्क्लेमर: यह लेख पूरी तरह से समीक्षा पर आधारित है और इसमें लेखक की व्यक्तिगत राय शामिल है। इस सामग्री का उद्देश्य पाठकों को फिल्म के बारे में जानकारी देना है और यह किसी भी कॉपीराइट सामग्री की नकल नहीं करता।
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